नई दिल्ली:
वर्ल्ड क्लास सेमीकंडक्टर फेब्रीकेशन फैसेलिटी बनाने की दिशा में भारत मजबूती से कदम बढ़ा रहा है, सरकार के योजना शुरुवात में ताइवान ने हिशु या सिंगापूर के वुडलैंड वेफर फैब पार्क जैसा मेगा सेमीकंडक्टर क्लस्टर बनाया जायेगा, दुनिया में डिमांड के मुताबित हो रहा है। सेमीकंडक्टर उत्पादन समता मावजुद है केवल कोरोना की वजह से सेमीकंडक्टर उत्पादन सप्लाई में रूकावट आएगी। एक साल पहले तक उद्योग जगत के बड़े हिस्से ने दी थी, न्यू एज फेब्रिकेशन शुरू न करने की सलाह दी, इसकी वजह है की इस पर भारत को 4 से 5 अरब डॉलर तक खर्च करने पड़ सकते है।
इसके अलावा सेमीकंडक्टर फेब्रिकेशन फैसेलिटी बनाने की एक कोशिश पहले फ़ैल हो चुकी है लेकिंन अब सेमीकंडक्टर चिप की कमी के बाद से अपनी सेमीकंडक्टर समता विक्षित करने पर ध्यान दे रही है। इसकी वजह है की आज चिप डिजिटल वर्ल्ड के फाउंडेशन की तरह यूज़ किया जा रहा है। फिलहाल सेमीकंडक्टर चिप कारोबार पूरी तरह से ताइवान पर निर्भर है।
बोस्टन कौन्सेल्लिंग का अनुमान है की दुनिया में सबसे एडवांस सेमीकंडक्टर मैनुफैक्टरिंग छमता में ताइवान की 92% हिस्सेदारी है। ऐसे भारत की सेमीकंडक्टर का मैनुफैक्टरिंग हब बनाने के लिए सरकार की शुरू की गई PLI स्कीम गेमचेंजर साबित हो सकती है इसके बाद दुनिया की बड़ी कम्पनिया भारत में सेमीकंडक्टर मैनुफैक्टरिंग फैसेलिटी में उयोग जगत के खर्च के बराबर ही खर्च करेगी। दुनिया के कई देशो में सेमीकंडक्टर बनाने के लिए इंसेंटिव की शुरुवात की लेकिन भारत में कम्पनिया को शानदार मोके नजर आ रहे है ऐसे भारत के पास डिजिटल प्रोडकट दौर में सेमीकंडक्टर की मांग में होने वाली संभावित बढ़ोतरी एक बढ़ा हिस्सा अपने पाले में करने का शानदार मौका है।
More Stories
क्या घटेगा Income Tax
Airtel 5G आते ही प्लान में कर दिए इतने महगें।
2000 रूपये के नोट की छपाई बंद।