एक तरफ कोरोना का कहर और दूसरी तरफ महगाई मार इन दोनों ने आम आदमी का जिन मुश्किल कर दिया है। रसोई में इस्तेमाल होने वाले राशन का बिल लगातार बढ़ता जा रहा है महेगे होते खाने के तेल से आम आदमी की कमर टूट गई है। सरकार की लाख कोशिश के बावजूद महगाई बेकाबू होती दिख रही है दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 5.59% रही। नवंबर में महगाई दर 4.91% थी खाने के तेल के साथ सब्जियों महेगे पेट्रोल और डीज़ल बिजली के चलते बडौती जा रही है। दिसंबर में खाद्य महगाई दर 4.05% नवंबर में 1.87% थी। कपड़ो, जूतों की महगाई दर दिसंबर में 7.94% के मुकाबले 8.3% रही दालों की महगाई दर नवंबर में 3.18% थी। दिसंबर में घटकर 2.43% हो गई है। फ्यूल, लाइट इन्फ्लेशन दिसंबर में 10.95% रही जो नवंबर में 13.35% थी। हाउसिंग इन्फ्लेशन दर दिसंबर में 3.66% के मुकाबले 3.61% रही।
महगाई आने वाले समय में सरकार की मुस्किले भी बड़ा सकती है हलाकि अभी भी महगाई दर RBI के लछ्य के दायरे में है। RBI का लछ्य महगाई दर को 4 से 6% के भीतर रखने का है लेकिन दिसंबर में महगाई 6% के बिलकुल करीब पहुंच गई, अगर महगाई जनवरी में भी 6% के पास रही, तो आने वाले दिनों में RBI ब्याज दरो में बढ़ोतरी का फैसला कर सकती है, यानी कर्ज महगा हो सकता है। दूसरी ओर नवम्बर अधोयी उत्पादन में इजाफा देखने को मिला है, ये अर्थवयवथा के लिए अच्छी खबर है। नवंबर में औधोगिक उत्पादन दर 1.4% रही, पिछले साल इस महीने IIP ग्रोथ -1.6% थी। जबकि अक्टूबर में IIP ग्रोथ 3.2% थी नवम्बर में माइनिंग ग्रोथ ५%थी, ˌमैन्युˈफ़ैक्च ग्रोथ सिर्फ 0.9% रही। पिछले साल इसी महीने में ये 1.4% थी।
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